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वन्देमातरम् पर आपत्ति

एक बार फिर वन्देमातरम् विवादों में है. कारण वही पुरानी इस्लामी जिद कि हमारे लिये देश से बढ़कर धर्म है. हालिया विवाद का आरम्भ उस समय हुआ जब मानव संसाधन मन्त्रालय की ओर से एक शासनादेश जारी कर वन्देमातरम् की रचना के शताब्दी समारोहों को समस्त देश में मनाने के उद्देश्य से समस्त विद्यालयों को आदेशित किया गया कि 7 सितम्बर को उनके यहाँ वन्देमातरम् के दो प्रारम्भिक चरण अनिवार्य रूप से गवाये जायें. इस शासनादेश के जारी होते ही मुस्लिम संगठनों और उलेमाओं ने वन्देमातरम् को इस्लाम के विरूद्ध बताते हुये कहा कि इसे गाते समय उन्हें भारतमाता की आराधना करनी होगी जबकि उनका धर्म अल्लाह और रसूल के अतिरिक्त किसी अन्य की प्रशंसा या आराधना की अनुमति नहीं देता. वन्देमातरम् के अनिवार्य गायन पर आपत्ति करने वालों में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी प्रमुख थे फिर उनका अनुसरण किया दिल्ली के शाही इमाम अहमद बुखारी ने. आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुसलमानों का प्रतिनिधि संगठन है इसलिये उसके प्रतिनिधि द्वारा वन्देमातरम् न गाने की बात करने से यह स्पष्ट होता है कि आम मुसलमान इसी विचार का है. मुसलमानों...

कश्मीर में उठ रहे आज़ादी की मांग,

कश्मीर भारत में उठ रहे आज़ादी की मांग, या पाकिस्तान परस्त रास्त्र्द्रोही इस्लामिक जेहाद ? कश्मीर जिसे धरती का स्वर्ग और भारत का मुकुट कहा जाता था आज भारत के लिए एक नासूर बन चूका है कारन सिर्फ मुस्लिम जेहाद के तहत कश्मीर को इस्लामिक राज्य बना कर पाकिस्तान के साथ मिलाने की योजना ही है, और आज रस्त्रद्रोही अल्गाव्बदियो ने अपनी आवाज इतनी बुलंद कर ली है की कश्मीर अब भारत के लिए कुछ दिनों का मेहमान ही साबित होने वाला है और यह सब सिर्फ कश्मीर में धारा ३७० लागु कर केंद्र की भूमिका को कमजोर करने और इसके साथ साथ केंद्र सरकार का मुस्लिम प्रेम वोट बैंक की राजनीती और सरकार की नपुंसकता को साबित करने के लिए काफी है यह बात कश्मीर के इतिहास से साबित हो जाता है जब सरदार बल्लव भाई के नेतृतव में भारतीय सेना ने कश्मीर को अपने कब्जे में ले लिया था परन्तु नेहरु ने जनमत संग्रह का फालतू प्रस्ताव लाकर विजयी भारतीय सेना के कदम को रोक दिया जिसका नतीजा पाकिस्तान ने कबाइली और अपनी छद्म सेना से कश्मीर में आक्रमण करवाया और क़ाफ़ी हिस्सा हथिया लिया । और कश्मीर भारत के लिए एक सदा रहने वाली समस्या बन कर रह गयी और पाकिस्ता...

हमला या साजिश

अमरनाथ दर्शन के लिए घाटी पहुचे जयपूर के श्रधालुओ पर मंगलवार को उपद्रवियों ने हमला किया हमला श्रीनगर से अनंतनाग के बीच दो बार वहां के लोगो द्वारा किया गया जिसमे १ दर्जन बसों के शीशे टूट गए और कई यात्री घायल हुए, जयपुर से १७५१ यात्री गए हुए थे जिन्हें अब रस्ते में रोका गया है जिससे उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पर रहा है, घायल यात्रियों अस्पताल में भर्ती करवाया गया है , यात्रियों ने समाचारपत्रों को फ़ोन पर बताया की उन्हें अभी तक कोई संतोषजनक जबाब नहीं मिला है , प्रशासन की तरफ से किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गयी है यात्रियों को आई जी , डीआई जी या अन्य अधिकारियो से मिलने नहीं दिया गया है। अमरनाथ यात्रियों पर आज ये कोई पहला हमला नहीं है इससे पहले भी हमले होते रहे है हमलो का एक संक्षिप्त व्योरा यहाँ दिया जा रहा है :- वर्ष २००८ में अमरनाथ श्राइन बोर्ड को आवंटित की जाने वाली भूमि के मसले पर जगह जगह हमले हुए थे जिसमे कई पर्यटक तथा यात्री घायल हुए थेऔर कई लोगो की मृत्यु हुयी थी । २५/०७/२००८ को अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों पर हथगोलों से हमला हुआ जिसमे ५ लोगो की मौत तथा कई लोग घायल ...