महर्षि दयानंद सरस्वती : इस मजहब में अल्लाह और रसूल के वास्ते संसार को लुटवाना और लुट के माल में खुदा को हिस्सेदार बनाना लुटेरों का काम है, जो मुस्लमान नहीं बनते उन लोगो को मरना और बदले में बहिश्त को पाना आदि पक्षपात की बाते इश्वर की नहीं हो सकती, श्रेष्ठ ग़ैर मुसलमानो से शत्रुता और दुस्त मुसलमानो से मित्रता जन्नत में अनेक लौंडे होना आदि निन्दित उपदेश कुएं में डालने योग्य हैं, अनेक स्त्रियों को रखने वाले मुहम्मद साहेब निर्दयी, राक्षस व विषयासक्त मनुष्य थे, और इसलाम से अधिक अशांति फ़ैलाने वाला दुस्त मत और दुसरा कोई नहीं, इसलाम मत की मुख्य पुस्तक कुरान पर हमारा यह लेख हठ, दुराग्रह, इर्ष्या-द्वेष, वाद विवाद और विरोध घटने के लिए लिखा गया, न की इनको बढ़ने के लिए सब सज्जनो के सामने रखने का उद्देश्य अच्छाई को ग्रहन करना और बुरे को त्यागना है. गुरू राम दास जी :- छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरू अपने "ग्रंथ-दास बोध" में लिखते हैं की मुस्लमान शासको द्वारा कुरान के अनुसार काफ़िर हिंदु नारियों से बलात्कार किये गए जिससे दुःखी होकर अनेकों ने आत्महत्या कर ली, मुस्लमान न बनने पर अनेक क़त्ल किये ...
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