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Showing posts from March, 2008

आतंक और हम

देश में जब कभी कोई आतंकवादी हमला होता है, तो हमले के लिए जिम्मेदार लोगों या उनके संगठनों अथवा हमलावरों को पनाह देने वाले मुल्क या मुल्कों के नाम रेडिमेड तरीके से सामने आ जाते हैं। आतंकवादियों को कायर, पीठ में छुरा घोंपने वाले या बेगुनाहों का हत्यारा कहकर केंद्र और राज्य सरकारें तयशुदा प्रतिक्रिया व्यक्त कर देती हैं। हमारे नेता भी ऊंची आवाज में चीखकर कहते हैं कि आतंकवाद के साथ सख्ती से निपटा जाएगा। घटनास्थल के दौरे के साथ ही सभी बड़ी-बड़ी बातें खत्म हो जाया करती हैं, और यह श्रंखला आतंकवादियों की अगली करतूत होने पर फिर शुरू हो जाती है, यही सिलसिला चलता रहता है। लोगों ने अब यह भी कहना शुरू कर दिया है कि बढ़-चढ़कर किए गए ऐसे दावों में कोई दम नहीं होता। कुछ लोगों ने मुझसे यहां तक कहा कि अखबारों में छपे ऐसे सियासी बयानों को हम पढ़ते तक नहीं। 25 अगस्त को हैदराबाद के एक एम्यूजमेंट पार्क और फिर एक मशहूर चाट की दुकान पर कुछ ही मिनट के अंतर से एक के बाद एक हुए दो विस्फोटों में पचास से अधिक लोग मारे गए और 75 घायल हो गए । राज्य व केंद्र सरकार ने इस हादसे के लिए भी, हर बार की तरह सरहद पार से आए आतंक

दारुल उलूम का मुस्लिम सम्मेलन की सच्चाई

दारुल उलूम का मुस्लिम सम्मेलन खासी चर्चा में है। बेशक पहली दफा किसी बड़े मुस्लिम सम्मेलन में आतंकवाद की निंदा की गई, लेकिन आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद 'असंख्य निर्दोष मुस्लिमों पर हो रहे असहनीय अत्याचारों' पर गहरी चिंता भी जताई गई। आल इंडिया एंटी टेररिज्म कांफ्रेंस की दो पृष्ठीय उद्घोषणा में आतंकवाद विरोधी सरकारी कार्रवाइयों को भेदभाव मूलक कहा गया। इसके अनुसार निष्पक्षता, नैतिकता और आध्यात्मिक मूल्यों वाले भारत में वर्तमान हालात बहुत खराब है। सम्मेलन ने आरोप लगाया कि इस वक्त सभी मुसलमान, खासतौर से मदरसा प्रोग्राम से जुड़े लोग दहशत में जी रहे है कि वे किसी भी वक्त गिरफ्तार हो सकते है। सम्मेलन में सरकारी अधिकारियों पर असंख्य निर्दोष मुस्लिमों को जेल में डालने, यातनाएं देने और मदरसों से जुड़े लोगों को शक की निगाह से देखने का आरोप भी जड़ा गया। सम्मेलन ने भारत की विदेश नीति और आंतरिक नीति पर पश्चिम की इस्लाम विरोधी ताकतों का प्रभाव बताया। देश दुनिया के मुसलमानों से हमेशा की तरह एकजुट रहने की अपील की गई। ऐलान हुआ कि सभी सूबों में भी ऐसे ही जलसे होंगे। सरकार के कथित मुस्लिम विरोधी नज

पाकिस्तान राष्ट्र नहीं है।

पाकिस्तान राष्ट्र नहीं है। यह कट्टरपंथी जेहादी और विश्व आतंकवाद की प्रापर्टी है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का मालिकाना मसला वसीयत से सुलट गया। 'प्रापर्टी पाकिस्तान' को लेकर मुसलसल जंग है। यहां कोई संप्रभु संवैधानिक सत्ता भी नहीं है। सिर्फ 60 साल की उम्र के इस मुल्क ने 4 संविधान बनाए। 32 साल तक सेना का राज रहा। इसके अलावा भी 10 साल तक सेना ने ही परोक्ष हुकूमत की, सिर्फ 18 साल ही अप्रत्यक्ष लोकतंत्र रहा। अभी भी सेना का ही राज है। बेनजीर भुट्टो की हत्या कोई अस्वाभाविक घटना नहीं है। पांच माह पहले ही लाल मस्जिद में कार्रवाई हुई थी। इसके पहले न्यायपालिका का सरेआम कत्ल हुआ। पाकिस्तान जेहादी आतंकवाद की विश्वविख्यात यूनिवर्सिटी है। {येही है इसलाम और इस्लामी सल्तनत } रक्त पिपासु जेहादी आतंकियों पर आईएसआई और सेना का कवच है। आईएसआई और जेहादी आतंकियों के साथ कट्टरपंथी मौलानाओं की दुआएं है। भारत सबका दुश्मन नंबर एक है, लेकिन भारतीय हुक्मरान इससे बेखबर है। पाकिस्तान के जन्म का आधार मजहबी अलगाववाद था। राष्ट्र मजहब से नहीं बनते। राष्ट्र निर्माण का आधार संस्कृति होती है। मजहबी अलगाववादियों ने अ