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Showing posts from January, 2008

बंगलादेशी घुसपैठ कितना खतरनाक ?

भारत की स्वतंत्रता के उपरान्त से ही जिस प्रकार विभिन्न देशों से लोग यहां आये उनमें से अनेक तो शरणार्थी के रूप में थे और अनेक चोरी छिपे घुसपैठिये थे। इससे भारत में जहां जनसंख्या में असंतुलन उभरा वहीं देश में अनेक प्रकार की समस्याएं खडी हो गईं। गत दस वर्षों में बांग्लादेश से लगभग 5.8 करोड की एक बडी आबादी ने भारत में अवैध रूप से घुसपैठ कर ली है जिससे देश में अनेक सीमावर्ती जिले इन घुसपैठियों के लगभग कब्जे में ही आ गये है। परन्तु सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि देश के तथाकथित गैर साम्प्रदायिक राजनीतिक नेता इन अवैध घुसपैठियों की बांग्लादेश में वापसी के लिए कोई पहल नहीं कर रहे हैं तथा जो राजनेता इनको वापिस भेजने की मांग करते हैं उनको साम्प्रदायिक कह कर गाली दी जाती है ।अब भारत की एकता व अखण्डता भी खतरे में पडती जा रही है । बढ़ती घुसपैठ व बढती जनसंख्या के असंतुलन से देश की आंतरिक सुरक्षा भी खतरे में पड गई है। देश को बाह्य आक्रमण से बचाने के लिए देश की सम्पूर्ण जनता जाति, बिरादरी, मजहब व पंथ को छोड कर एकजुट हो जाती है लेकिन आंतरिक आक्रमण-घुसपैठ होने से आंतरिक असुरक्षा उत्पन्न हो जाती है जिसको सामा

हिंदुत्व

वीर सावरकर ने हिन्दुत्व और हिन्दूशब्दों की एक परिभाषा दी थी जो हिन्दुत्ववादियों के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है उन्होंने कहा कि हिन्दू वो व्यक्ति है जो भारत को अपनी पितृभूमि और अपनी पुण्यभूमि दोनो मानता है । हिन्दुत्व शब्द फ़ारसी शब्द हिन्दू और संस्कृत प्रत्यय -त्व से बना है । हिन्दुत्ववादी कहते हैं कि हिन्दू शब्द के साथ जितनी भी भावनाएं और पद्धतियाँ, ऐतिहासिक तथ्य, सामाजिक आचार-विचार तथा वैज्ञानिक व आध्यात्मिक अन्वेषण जुड़े हैं, वे सभी हिन्दुत्व में समाहित हैं।हिन्दुत्व शब्द केवल मात्र हिन्दू जाति के कोरे धार्मिक और आध्यात्मिक इतिहास को ही अभिव्यक्त नहीं करता। हिन्दू जाति के लोग विभिन्न मत मतान्तरों का अनुसरण करते हैं। इन मत मतान्तरों व पंथों को सामूहिक रूप से हिन्दूमत अथवा हिन्दूवाद नाम दिया जा सकता है । आज भ्रान्तिवश हिन्दुत्व व हिन्दूवाद को एक दूसरे के पर्यायवाची शब्दों के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। यह चेष्टा हिन्दुत्व शब्द का बहुत ही संकीर्ण प्रयोग है । हिन्दुत्ववादियों के अनुसार हिन्दुत्व किसी भी धर्म या उपासना पद्धति के ख़िलाफ़ नहीं है । वो तो भारत में सुदृढ़ राष्ट्रवाद और

ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में जिहाद

द्वारा डैनियल पाइप्सन्यूयार्क सन31 मई, 2005 राइस विश्वविद्यालय के डेविड कुक ने “अन्डर-स्टेंडिंग जिहाद” नाम से एक बहुत अच्छी और बोधगम्य पुस्तक लिखी है .युनिवर्सिटी औफ कैलीफोर्निया प्रेस द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का विमोचन अभी शीघ्र ही हुआ है ...इस पुस्तक में डेविड कुक ने 11 सितम्बर के पश्चात जिहाद पर आरंभ हुई निचले स्तर की बहस के स्वरुप को निरस्त किया है कि क्या यह एक आक्रामक युद्द पद्धति है या फिर व्यक्ति के नैतिक विकास का प्रकार है... कुरान मुसलमानों को स्वर्ग के बदले अपनी जान देने को आमंत्रित करता है ..हदीथ , जो कि मोहम्मद के क्रियाकलापों और व्यक्तिगत बयानों का लेखा जोखा है ,कुरान के सिद्दांतो की और अधिक व्याख्या करता है .इसमें संधियों, धन का वितरण , युद्द में प्राप्त सामग्री य़ा पुरस्कार , बंदियों, विभिन्न नीतियों का उल्लेख है ..मुसलिम विधिशास्त्र ने कालांतर में इन व्यावहारिक विषयों को सूत्रबद्ध कर इसे एक कानून का स्वरुप दे दिया .... पैगंबर ने अपने शासनकाल के दौरान औसतन प्रतिवर्ष नौ सैन्य अभियानों में हिस्सा लिया ...अर्थात प्रत्येक पाँच या छ सप्ताह में एक सैन्य अभियान , इस प्रकार अत्

मुस्लिम वोटों की लालच

पिछले दिनों जब असम में उग्रवादी संगठनों ने हिन्दी भाषी लोगों को निशाना बनाया तो एक बार फिर एक साथ अनेक सवाल उठकर खड़े हो गये. पहला, इस बर्बर नरसंहार के लिये दोषी किसे ठहराया जाना चाहिये. उग्रवादी संगठन उल्फा को पाकिस्तानी खुफिया संगठन आई.एस.आई को या फिर स्वयं असम सरकार की लापरवाही को. वैसे तो असम के मुख्यमन्त्री ने तत्काल इस नरसंहार की जिम्मेदारी आई.एस.आई पर डाल दी परन्तु क्या इससे मुख्यमन्त्री तरूण गोगोई का उत्तरदायित्व समाप्त हो जाता है. आखिर पिछले चुनावों में उल्फा की सहायता लेकर और फिर बोडो अलगाववादी संगठन की पूर्ववर्ती शाखा के साथ सरकार बनाकर सेना के हाथ किसने बाँधे थे. कांग्रेस सरकार ने ऐसे बोडो सदस्यों को अपना भागीदार बनाया जिनके अभी भी भूमिगत उग्रवादियों से सम्बन्ध हैं. उल्फा के सहयोग की कीमत चुकाते हुये सरकार ने उल्फा के साथ युद्ध विराम की घोषणा कर दी और इस दौरान इस संगठन को स्वयं को सशक्त करने का अवसर प्राप्त हो गया. तत्काल लापरवाही के साथ-साथ कांग्रेस सरकार की बांग्लादेश घुसपैठ के सम्बन्ध में राष्ट्रीय सुरक्षा से अधिक मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने की नीति ने भी इस समस्या

वामपंथ की दरकती इमारत

जब कोई इमारत दरकने लगती है तो उसकी दरारों में से कीड़े-मकोड़े निकलने शुरू हो जाते हैं। पश्चिम बंगाल में ऐसा ही कुछ नजर आ रहा है। गत माह कोलकाता की गलियों में गुंडागर्दी के शर्मनाक प्रदर्शन की जो तस्वीर दुनिया के सामने आई है उसमें यह साफ-साफ नजर आया कि माकपा के हाथ से एक ऐसे राज्य का नियंत्रण निकल रहा है जिस पर उसने अनवरत 30 सालों तक शासन किया है। कार्यकर्ताओं द्वारा नंदीग्राम पर पुन: कब्जा जमाना यदि ग्रामीण समुदाय के कोने-कोने में पार्टी के प्रभुत्व को स्थापित करने का एक हताशा भरा प्रयास था तो राज्य सरकार द्वारा तसलीमा नसरीन को कोलकाता से बाहर निकालना उन प्रतिगामी शक्तियों के फिर से हावी हो जाने का प्रमाण था जिनको माकपा व्यवस्थित तरीके से पोषित करती रही है। ऐसा आभास होता है कि राजनीतिक अस्तित्व को बचाए रखने के लिए माकपा पूरे घटनाक्रम से संबद्ध नुकसान अर्थात बंगाली भद्रलोक से पार्टी के अलगाव को भी स्वीकार करने को तैयार है। पार्टी की बुनियादी मान्यताओं पर समग्र दृष्टिपात किए बिना ही घड़ी की सुई को पीछे खींचने की कोशिश के संबंध में किसी मत पर पहुंचना अभी जल्दबाजी होगी। सोवियत संघ में मिखाइल

सीमा पार सुलगती आग

पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है। पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या अंतरराष्ट्रीय खबर थी और हत्या को हादसा बताने वाली सरकारी सफाई भी। बेनजीर की वसीयत के मुताबिक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी नाबालिग पुत्र के नाम हो गई। यह भी बड़ी खबर थी। गोया पार्टी भी एक प्रापर्टी थी। पाकिस्तान भी राष्ट्र नहीं है। यह कट्टरपंथी आक्रामक समूहों और सेना की प्रापर्टी है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का मालिकाना मसला वसीयत से सुलट गया। 'प्रापर्टी पाकिस्तान' को लेकर मुसलसल जंग है। यहां कोई संप्रभु संवैधानिक सत्ता भी नहीं है। सिर्फ 60 साल की उम्र के इस मुल्क ने 4 संविधान बनाए। 32 साल तक सेना का राज रहा। इसके अलावा भी 10 साल तक सेना ने ही परोक्ष हुकूमत की, सिर्फ 18 साल ही अप्रत्यक्ष लोकतंत्र रहा। अभी भी सेना का ही राज है। बेनजीर भुट्टो की हत्या कोई अस्वाभाविक घटना नहीं है। पांच माह पहले ही लाल मस्जिद में कार्रवाई हुई थी। इसके पहले न्यायपालिका का सरेआम कत्ल हुआ। पाकिस्तान जेहादी आतंकवाद की विश्वविख्यात यूनिवर्सिटी है। रक्त पिपासु जेहादी आतंकियों पर आईएसआई और सेना का कवच है। आईएसआई और जेहादी आतंकिय