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इसलाम, फतवा और मुस्लिम औरत

हिजाब न पहनने पर बेटी की हत्या, टोरंटो (आई ए एन एस)
पाकिस्तानी मूल की एक कनाडाई लरकी द्वारा हिजाब पहनने से इंकार करने पर उसके पिता ने उसकी हत्या कर दी.दक्षिण एशियाई नागरिको के उपनगर मिस्सिसुआगा में रहने वाली 16 वर्षीय अक्सा को उसके पिता मुह्हमद परवेज ने गला घोट कर मार डाला अक्सा के सहपाठियों के अनुसार उसके और उसके परिवार वालों के वीच हिजाब को लेकर कुछ समय से तनाव चल रहा था वाह घर से निकलते समय हिजाब पहनती थी और स्चूल पहुचकर आधुनिक कपरे पहन लेती थी,मुस्लिम समुदाय में मूर्ख तो मूर्ख पढे लिखे और आधुनिक लोग भी कट्टरता को भूल नहीं पा रहे हैं ये अपने कट्टरपंथी इसलाम और कुरान में लिखे फालतू बकबासों का पालन करने के लिए अपने बच्चो तक को नहीं छोर रहे तो किसी और को क्या छोरेंगे

करनी मामा की और सजा मिली मासूम भांजी को
मुजफ्फरनगर में मुस्लिम जातीय पंचायत ने मानवता की सारी हदों को पर करते हुए एक पंचायत में एक 14 वर्ष की मासूम नवालिग़ बालिका को अपने से दुगने उम्र के लरके से निकाह करने का फरमान सुनाया, लरकी रुबीना के मामा के किये गए पाप की सजा इस नवलिग़ को मिली, रुबीना के मामा ने एक नवालिग़ लरकी को भगा कर ले गया और इसके लिए वहा के पंचायत की बिरादरी के मुखिया जफरुद्दीन ने फैसला सुनाया की लरकी के बदले लरकी ही ली जायेगी और नवालिग़ के बदले लरकी भी नवालिग़ ही होनी चाहिए, रुबीना के पिता को वहा उपस्थित बिरादरी ने हुक्म दिया की वाह अपनी १४ वर्षीय पुत्री रुबीना का निकाह सादा (जिसकी लरकी को लेकर रुबीना का मामा फरार हुआ ) के चचेरे भाई से कर दे रुबीना का पिता उस समय हवालात में बंद था इसलिए पंचायत का फैसला उसे थाने में जाकर सुना दिया गया तो वाह राजी भी हो गया, कथित बिरादरी के लोगो ने यह फैसला रुबीना को सुनते हुए कहा की तुम्हारे पिता पुलिस के चंगुल से तभी छूटेंगे जब तुम निकाह की मंजूरी दे दोगी पिता की रिहाई के लिए उसने हमी भर di अनन फानन में रुबीना को हबीब के घर बुलाया और उसकी निकाह उससे दो गुने उम्र के साजिद से कर दी गयी और पुलिस मूकदर्शक बनी रही यह उनलोगों की वह के मौलवी की तलिवानी संस्किरती नहीं तो और क्या है ?


बलात्कार की शिकार लड़की को 200 कोड़े मारने की सजा जेद्दाह :
जेद्दाह में एक सऊदी अदालत ने पिछले साल सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की को 90 कोड़े मारने की सजा दी थी। उसके वकील ने इस सजा के खिलाफ अपील की तो अदालत ने सजा बढ़ा दी और हुक्म दिया: '200 कोड़े मारे जाएं।' लड़की को 6 महीने कैद की सजा भी सुना दी। अदालत का कहना है कि उसने अपनी बात मीडिया तक पहुंचाकर न्याय की प्रक्रिया पर असर डालने की कोशिश की। कोर्ट ने अभियुक्तों की सजा भी दुगनी कर दी।इस फैसले से वकील भी हैरान हैं। बहस छिड़ गई है कि 21वीं सदी में सऊदी अरब में औरतों का दर्जा क्या है? उस पर जुल्म तो करता है मर्द, लेकिन सबसे ज्यादा सजा भी औरत को ही दी जाती है।

बेटी से निकाह कर उसे गर्भवती किया जलपाईगुड़ी :
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में एक व्यक्ति ने सारी मर्यादाओं को तोड़ते हुए अपनी सगी बेटी से ही शादी कर ली और उसे गर्भवती भी कर दिया है। यही नहीं , वह इसे सही ठहराने के लिए कहा रहा है कि इस रिश्ते को खुदा की मंजूरी है। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि इस निकाह का गवाह कोई और नहीं खुद लड़की की मां और उस शख्स की बीवी थी।जलपाईगुड़ी के कसाईझोरा गांव के रहने वाले अफज़ुद्दीन अली ने गांव वालों से छिपाकर अपनी बेटी से निकाह किया था इसलिए उस समय किसी को इस बारे में पता नहीं चला। अब छह महीने बाद लड़की गर्भवती हो गई है ।

मस्जिद में नमाज अदा करने पर महिलाओं को मिला फतवा गुवाहाटी (टीएनएन) :
असम के हाउली टाउन में कुछ महिलाओं के खिलाफ फतवा जारी किया गया क्योंकि उन्होंने एक मस्जिद के भीतर जाकर नमाज अदा की थी।असम के इस मुस्लिम बाहुल्य इलाके की शांति उस समय भंग हो गई , जब 29 जून शुक्रवार को यहां की एक मस्जिद में औरतों के एक समूह ने अलग से बनी एक जगह पर बैठकर जुमे की नमाज अदा की। राज्य भर से आई इन महिलाओं ने मॉडरेट्स के नेतृत्व में मस्जिद में प्रवेश किया। इस मामले में जमाते इस्लामी ने कहा कि कुरान में महिलाओं के मस्जिद में नमाज पढ़ने की मनाही नहीं है।जिले के दीनी तालीम बोर्ड ऑफ द कम्युनिटी ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि इस तरीके की हरकत गैरइस्लामी है। बोर्ड ने मस्जिद में महिलाओं द्वारा नमाज करने को रोकने के लिए फतवा भी जारी किया।

कम कपड़े वाली महिलाएं लावारिस गोश्त की तरह मौलवी: मेलबर्न (एएनआई) :
एक मौलवी के महिलाओं के लिबास पर दिए गए बयान से ऑस्ट्रेलिया में अच्छा खासा विवाद उठ खड़ा हुआ है। मौलवी ने कहा है कि कम कपड़े पहनने वाली महिलाएं लावारिस गोश्त की तरह होती हैं , जो ' भूखे जानवरों ' को अपनी ओर खींचता है।रमजान के महीने में सिडनी के शेख ताजदीन अल-हिलाली की तकरीर ने ऑस्ट्रेलिया में महिला लीडर्स का पारा चढ़ा दिया। शेख ने अपनी तकरीर में कहा कि सिडनी में होने वाले गैंग रेप की वारदातों के लिए के लिए पूरी तरह से रेप करने वालों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।500 लोगों की धार्मिक सभा को संबोधित करते हुए शेख हिलाली ने कहा , ' अगर आप खुला हुआ गोश्त गली या पार्क या किसी और खुले हुए स्थान पर रख देते हैं और बिल्लियां आकर उसे खा जाएं तो गलती किसकी है , बिल्लियों की या खुले हुए गोश्त की ?

'कामकाजी महिलाएं पुरुषों को दूध पिलाएं फतवा, काहिरा :
काहिरा : मिस्र में पिछले दिनों आए दो अजीबोगरीब फतवों ने अजीब सी स्थिति पैदा कर दी है। ये फतवे किसी ऐरे-गैरे की ओर से नहीं बल्कि देश के टॉप मौलवियों की ओर से जारी किए जा रहे हैं। देश के बड़े मुफ्तियों में से एक इज्ज़ात आतियाह ने कुछ ही दिन पहले नौकरीपेशा महिलाओं द्वारा अपने कुंआरे पुरुष को-वर्करों को कम से कम 5 बार अपनी छाती का दूध पिलाने का फतवा जारी किया। तर्क यह दिया गया कि इससे उनमें मां-बेटों की रिलेशनशिप बनेगी और अकेलेपन के दौरान वे किसी भी इस्लामिक मान्यता को तोड़ने से बचेंगे। इस्लाम के अंतर्गत किसी महिला का उस व्यक्ति से विवाह संबंध नहीं हो सकता जिसे उसने दूध पिलाया हो। दरअसल यह नियम मां-बेटे के बीच शारीरिक संबंधों को रोकने के लिए है लेकिन आतिया का कहना है कि इसे वयस्कों पर भी लागू किया जाए। इससे उनमें मां-बेटे का रिश्ता पनपेगा और वे अवैध संबंधों से बचे रहेंगे। इस फतवे से उठा विवाद अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और नया फतवा आ गया। इस फतवे में यह कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद के साथी उनका पेशाब पीते थे और ऐसा करना पुण्य का काम है। यह फतवा जारी करते हुए मौलवी अली गुमआ ने हदीथ का हवाला दिया। गुमआ का कहना है कि जिस तरह मां अपने बच्चे के मल-मूत्र पर नाक-भौं नहीं सिकोड़ती क्योंकि वह उससे बेइंतहा प्यार करती है , उसी तरह हज़रत मोहम्मद का थूक , पसीना , बाल , पेशाब और रक्त भी पाक हैं।

गले लगाना बना फतवे का कारण, इस्लामाबाद (भाषा) :
इस्लामाबाद की लाल मस्जिद के धर्मगुरुओं ने पर्यटन मंत्री नीलोफर बख्तियार के खिलाफ तालिबानी शैली में एक फतवा जारी किया है और उन्हें तुरंत हटाने की मांग की है।बख्तियार पर आरोप है कि उन्होंने फ्रांस में पैराग्लाइडिंग के दौरान अपने इंस्ट्रक्टर को गले लगाया। इसकी वजह से इस्लाम बदनाम हुआ है।

फतवा: ससुर को पति पति को बेटा
एक फतवा की शिकार मुजफरनगर की ईमराना भी हुई। जो अपने ससुर के हवश का शिकार होने के बाद उसे आपने ससुर को पति ओर पति को बेटा मानने को कहा ओर ऐसा ना करने पे उसे भी फतवा जारी करने की धमकी मिली।

फतवा क्या है ?
जो लोग फतवों के बारे में नहीं जानते, उन्‍हें लगेगा कि यह कैसा समुदाय है, जो ऐसे फतवों पर जीता है। फतवा अरबी का लफ्ज़ है। इसका मायने होता है- किसी मामले में आलिम ए दीन की शरीअत के मुताबिक दी गयी राय। ये राय जिंदगी से जुड़े किसी भी मामले पर दी जा सकती है। फतवा यूँ ही नहीं दे दिया जाता है। फतवा कोई मांगता है तो दिया जाता है, फतवा जारी नहीं होता है। हर उलमा जो भी कहता है, वह भी फतवा नहीं हो सकता है। फतवे के साथ एक और बात ध्‍यान देने वाली है कि हिन्‍दुस्‍तान में फतवा मानने की कोई बाध्‍यता नहीं है। फतवा महज़ एक राय है। मानना न मानना, मांगने वाले की नीयत पर निर्भर करता है।

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